जालंधर : मंडियाला गैस कांड ने न केवल पंजाब की कानून व्यवस्था को कठघरे में खड़ा कर दिया है, बल्कि इससे एक जनप्रतिनिधि की कार्यशैली और साख पर भी गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। आम आदमी पार्टी के विधायक रमन अरोड़ा इन दिनों भ्रष्टाचार और संगीन आपराधिक मामलों से जुड़े एक जटिल जाल में उलझते नजर आ रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक, विधायक अरोड़ा पिछले तीन सालों से एक ठेकेदार रमेश कुमार से “महीना” ले रहे थे। रमेश कोई साधारण पार्किंग ठेकेदार नहीं, बल्कि गैस और तेल चोरी के नेटवर्क का मास्टरमाइंड बताया जाता है, जो इस समय मंडियाला गैस कांड में जेल में बंद है। इस हादसे में 7 मासूमों की जान जा चुकी है।
रमेश कुमार, जो फिलहाल जेल में है, ने खुद खुलासा किया है कि वह विधायक को और उनके बेटे सौरव पासवान को नियमित रूप से रिश्वत देता था ताकि उनके काले धंधे पर कोई सवाल न उठे। यही नहीं, रमेश का आरोप है कि विधायक ने उससे जबरन पैसे लेने के लिए धमकी दी कि अगर “महीना” नहीं दिया, तो उसे झूठे केस में फंसा देंगे।
चौंकाने वाली बात यह है कि 22 अगस्त की रात, मंडियाला में गैस कांड होते ही रमेश सिर्फ 15 मिनट बाद पुलिस थाने पहुंचकर शिकायत दर्ज करवाता है। तीन सालों तक चुप रहने वाला रमेश अचानक इतना “सजग” कैसे हो गया? क्या यह गैस कांड के बाद अपने बचाव की चाल थी, या फिर यह किसी बड़ी राजनीतिक साजिश का हिस्सा? पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक, गैस कांड की एफआईआर (119) रात 9:55 बजे, जबकि विधायक अरोड़ा के खिलाफ दर्ज एफआईआर (253) 10:10 बजे की है — यानी महज़ 15 मिनट का अंतर। जानकारों का मानना है कि यह सिर्फ संयोग नहीं, बल्कि सोची-समझी रणनीति का हिस्सा हो सकता है।
